दीपावली पर निबंध 300 शब्दों में | दीपावली पर निबंध कक्षा 5, कक्षा 8,

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दीपावली, भारतीय हिन्दू संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है और यह साल के एक बड़े त्योहारों में से एक है। दीपावली को “दीपों का त्योहार” भी कहा जाता है, क्योंकि इसे दीपों की रौशनी से सजाया जाता है।

दीपावली कब मनाई जाती है?

यह त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन लोग घरों को सजाते हैं, दीपक जलाते हैं, मिठाई बनाते हैं, पटाखे जलाते हैं, परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर मनाते हैं।

दीपावली का महत्वपूर्ण पर्व हमें समझता है कि सत्य, सुन्दरता, प्रेम, सम्मान, समरसता, समृद्धि, सुख-शांति, समृद्धि और समृद्धि की प्रतिक्रिया होनी चाहिए।

दीपावली क्यों मनाया जाता है

दीपावली के महत्वपूर्ण पहलु में से एक है प्रकृति की उपासना करना। इसे भगवान गणेश और गोदेवी लक्ष्मी की पूजा के साथ मनाया जाता है, जिन्हें धन और समृद्धि के प्रतीक के रूप में माना जाता है। लोग अपने घरों को सजाते हैं और उन्हें दीपों से रोशन करते हैं।

दीपावली का दूसरा महत्वपूर्ण पहलु है सामाजिक एकता और परिवार के साथ वक्त बिताना। लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर मनाते हैं। घरों को सजाने-सवरने में सब मिलकर काम करते हैं और खास खाने बनाते हैं।

दीपावली का तीसरा महत्वपूर्ण पहलु है अच्छे कामों की प्रारंभ करने का संकेत देना। इसे नए शुरुआतों का प्रतीक माना जाता है और लोग इस त्योहार पर अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए संकल्प लेते हैं।

दीपावली भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें प्रकृति की सुन्दरता का आनंद लेने के साथ-साथ समृद्धि, खुशियाँ, और सामाजिक एकता का महत्व भी सिखाता है। यह एक खुशहाल और प्रसन्नतम माहौल में एकत्र आने का अच्छा मौका है।

दीपावली में परंपरागत रूप से कौन-कौन से अन्य पर्व को मनाते हैं?

दीपावली त्योहार के दौरान लोग अनेक प्रकार की खुशियों का आनंद लेते हैं। परंपरागत रूप से, दीपावली के पांच दिनों में हर दिन का अपना महत्व होता है जिसे हम साल मनाते हैं।

  1. धनतेरस: धनतेरस का दिन माँ लक्ष्मी की पूजा के साथ मनाया जाता है।
  2. नरक चतुर्दशी: नरक चतुर्दशी के दिन, सुबह समय पर स्नान करके, महिलाएं अपने हाथों में सिंदूर, हल्दी, मेहंदी, सुपारी, पत्ता, फूल, घी, मिठाई, पुष्प, प्रसाद, सोने-चाँदी के सिक्के, सोने-चाँदी के आकृति, सुमन, पुष्पमाला, मोली, महुआ के पत्ते, अक्षता, कुमकुम, कपूर, समिधा, धूप-बत्ती, मिश्री-मिठाई, प्रसाद-मिठाई, प्रसाद-पत्र, प्रसाद-पुष्प, प्रसाद-सुपारी, प्रसाद-सिंदूर, प्रसाद-हल्दी आदि को समेटकर ‘कलश’ (Kalash) कहलाने वाले ‘कलश’ (Kalash) को सजाती हैं।
  3. लक्ष्मी पूजा: लक्ष्मी पूजा का दिन महत्वपूर्ण होता है।
  4. पड़ोसियों से मिलना: दिवाली के चौथे दिन को भारत के कुछ हिस्सों में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट के रूप में मनाया जाता है। लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं और मिठाइयाँ और उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं।
  5. भाई-बहन का पर्व: दिवाली का 5वें दिन भाई दूज पर्व के रूप में मनाया जाता है जिसमें बहनें अपने भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।